मैग्नेशियम (उच्चारित/mæɡˈniːziəm/) एक रासायनिक तत्त्व है, जिसका चिह्न है Mg, परमाणु संख्या १२ एवं सामान्य ऑक्सीडेशन संख्या +२ है। है। यह कैल्शियम और बेरियम की तरह एक एल्केलाइन अर्थ धातु[1] है एवं पृथ्वी पर आठवाँ बहुल उपलब्ध तत्त्व है तथा भार के अनुपात में २% है,[2] और पूरे ब्रह्माण्ड में नौंवा बहुल तत्त्व है।[3][4] इसके बाहुल्य का संबंध ये तथ्य है, कि ये सुपरनोवा तारों में तीन हीलियम नाभिकों के कार्बन में शृंखलागत तरीके से जुड़ने पर मैग्नेशियम का निर्माण होता है। मैग्नेशियम आयन की जल में उच्च घुलनशीलता इसे सागर के जल में तीसरा बहुल घुला तत्त्व बनाती है।[5] मैग्नीशियम सभी जीव जंतुओं के साथ मनुष्य के लिए भी उपयोगी तत्त्व है। यह प्रकाश का स्नोत है और जलने पर श्वेत प्रकाश उत्सर्जित करता है। यह मानव शरीर में पाए जाने वाले पांच प्रमुख रासायनिक तत्वों में से एक है। मानव शरीर में उपस्थित ५०% मैग्नीशियम अस्थियों और हड्डियों में होता है जबकि शेष भाग शरीर में हाने वाली जैविक कियाओं में सहयोगी रहता है।
एक स्वस्थ आहार में इसकी पर्याप्त मात्रा होनी चाहिये। इसकी अधिकता से अतिसार और न्यूनता से न्यूरोमस्कुलर समस्याएं हो सकती है। मैग्नीशियम हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है।[1] इसकी खोज सर हंफ्री डेवी ने १८०८ में की थी। असल में डेवी ने वास्तव में धातु के एक ऑक्साइड को खोजा था, जो बाद में एक तत्व निकला। एक अन्य मान्यता अनुसार कि मैग्नीशियम की खोज १८वीं शताब्दी के मध्य में हुई थी। वैसे इसके एक यौगिक एप्सम लवण की खोज १७वीं शताब्दी में हो चुकी थी और वह आज भी प्रयोग में आता है। इसका एक अन्य यौगिक मिल्क ऑफ मैग्नीशिया कहलाता है। मैग्नीशियम अन्य तत्वों के साथ सरलता से अभिक्रिया कर यौगिक बना लेता है, जिस कारण यह प्रकृति में सदा यौगिकों के रूप में उपस्थित होता है। सागर का जल मैग्नीशियम का एक बड़ा स्रोत है, अतः कई धातु-शोधक कंपनियां इसे सागर से शोधित कर इसका औद्योगिक प्रयोग करती हैं। विलयन पर यह चांदी जैसा सफेद और भार में अपेक्षाकृत हल्का हो जाता है।[1] धातु रूप में यह विषैला (टॉक्सिक) नहीं होता, किन्तु जलाने पर यह विषैला प्रभाव छोड़ता है। इसीलिए गर्म मैग्नीशियम का प्रयोग करते समय नाक को सावधानी से बचाकर काम करना चाहिए। मैग्नीशियम हल्का तत्व होने पर भी काफी मजबूत होता है। इस कारण ही इसे मिश्र धातुओं और अंतरिक्ष उद्योग के लिए उपयोगी माना जाता है। कुछ उच्च क्षमता वाले स्वचालित यंत्रों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
अनुक्रम
प्राकट्य
हालांकि मैग्नीशियम ६० से अधिक खनिजों में पाया जाता है, किन्तु केवल डोलोमाइट, ब्रूसाइट, कार्नेलाइट, टैल्क, एवं ओलिवाइन में ही वाणिज्यिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण माना जाता है। Mg2+ कैटायन सागरीय जल में उपलब्ध बहुल कैटायनों में द्वितीय स्थान पर है। वहां ये उपलब्ध सोडियम के भार का १२% के बराबर उपस्थित है। इस कारण सागरीय जय व सागरीय लवण मैग्नीशियम के बडए वाणिज्यिक स्रोतों में गिने जाते हैं। मैग्नीशियम के एक्स्ट्रैक्शन हेतु सागरीय जल में कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड मिला देते हैं, जिससे मैग्नीशियम हाईड्रॉक्साइड प्रेसिपिटेट प्राप्त होता है।
मैग्नीशियम हाईड्रॉक्साइड जल में अघुलनशील होने के कारण अलग हो जाता है और छान कर निकाल लिया जाता है। इसके बाद इसे हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के संग अभिक्रिया कराते हैं और मैग्नीशियम क्लोराइड प्राप्त होता है।
मैग्नीशियम क्लोराइड से विद्युत अपघटन द्वारा मैग्नीशियम प्राप्त होता है।
संयुक्त राज्य में कुओं, सागरीय जल व अन्य खारे जल के स्रोतों से प्राप्त जल से विद्युत अपघटन द्वारा मैग्नीशियम प्राप्त किया जाता है। कैथोड पर Mg2+ आयन को दो इलेक्ट्रॉनों द्वारा रिडक्शन कर मैग्नीशियम धातु प्राप्त किया जाटा है:
ऐनोड पर Cl- आयन के प्रत्येक जोड़े ऑक्सीकृत होकर क्लोरीन गैस बनाते हैं, जिससे दो इलेक्ट्रॉन मुक्त हो जाते हैं और परिपथ पूर्ण हो जाता है:
संयुक्त राज्य इस धातु का प्रमुख विश्व आपूरक रहा है और १९९५ में प्राप्त आंकड़ों तक विश्व के कुल उत्पादन की ४५% आपूर्ति करता है। वर्तमान स्थिति ये हैं कि उनका बाजार भाग मात्र ७% रह गया है और उनके पास एक ही घरेलु उत्पादक, यू.एस. मैग्नीशियम शेष है।[6]
२००५ के अनुसार, चीन अब विश्व बाजार के ६०% आपूर्ति के साथ सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बना है, जो पिछले आंकड़ों के अनुसार ४% से बढ़कर उठा है। चीन उपरोक्त इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया से अलग धातु के अयस्क से धातु शोधित करता है और अयस्कों को सिलिकोथर्मिक पिड्जेऑन प्रक्रिया द्वारा धातु ऑक्साइडों को सिलिकॉन के संग उच्च तापमान पर रिड्यूस करके मैग्नीशियम प्राप्त करता है।
आहारीय मैग्नेशियम
मैग्नेशियम का एक भाग मानव-शरीर की प्रत्येक कोशिका में होता है। यह भाग अतिसूक्ष्म हो सकता है, किंतु महत्त्वपूर्ण अवश्य होता है। सम्पूर्ण शरीर में मैग्नेशियम की मात्रा ५० ग्राम से कम होती है। शरीर में कैल्शियम और विटामिन सी का संचालन, स्नायुओं और मांसपेशियों की उपयुक्त कार्यशीलता और एन्जाइमों, को सर्किय बनाने के लिये मैग्नेशियम आवश्यक है। कैल्शियम-मैग्नेशियम सन्तुलन में गड़बड़ी आने से स्नायु-तंत्र दुर्बल हो सकता है।[7] इसीलिये फ़्रांस में कैंसर की अधिकता का मुख्य कारण स्थानीय मिट्टी में मैग्नेशियम का कम अंश पाया गया है। मैग्नेशियम के निम्न स्तरों और उच्च रक्तचाप में स्पष्ट अंतर्संबंध स्थापित हो चुका है। निम्न मैग्नेशियम स्तर से मधुमेह भी हो सकता है। यूरोलोजी जर्नल की एक रिर्पोट के अनुसार मैग्नेशियम और विटामिन बी६ गुर्दे और पित्ताशय की पथरी के खतरे को कम करने में प्रभावी थे। कठोर दैहिक व्यायाम शरीर के मैग्नेशियम की सुरक्षित निधि को क्षय कर देते है और संकुचन को कमजोर कर देते है। व्यायाम एवं शारीरिक मेहनत करने वाले लोगों को मैग्नेशियम सम्पूरकों की आवश्यकता है। मैग्नेशियम की कमी से महिलाओं में कई समस्याएं दिखाई देती हैं, जैसे:पाँवों की मांसपेशियाँ कमजोर होना, जिससे रेस्टलेस लेग सिंड्रोम होता है। पाँवों में बिवाइयां फटना, पेट की गड़बड़ी, एकाग्रता में कमी, रजोनिवृत्ति संबंधी समस्याओं का बढ़ना, मासिक-धर्म पूर्व के तनाव में वृद्धि, आदि।[8]
एक गिलास भारी जल मैग्नेशियम के लियें खाघ-संपूरक है। भारी जल में निरपवाद रूप से उच्च मैग्नेशियम का अंश होता है। भारी जल का प्रयोग करने वाले क्षेत्रों में हृदयाघात न्य़ूनतम होते हैं।[7] इसके अन्य महत्वपूर्ण स्रोत है सम्पूर्ण अनाज विशेषकर साबुत अनाज, दाल, सोयाबीन, बादाम, केला, उबले आलू, गिरीदार फ़ल, हरी पत्तीदार सब्जियां, डेरी उत्पाद और समुद्र से प्राप्त होने वाले आहार।[8]
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ – “magnesium kya hota hai”
दिक्चालन सूची